जागरण संवाददाता, रांची। वर्ष 2016 से लेकर अब तक विभिन्न सरकारी योजनाओं को लेकर रांची जिले में कुल 70 हजार 952 पेड़ों को काट दिए गए। वन विभाग की ओर से संबंधित विभागों को 56 हजार 673 पेड़ों को काटने व 14 हजार 278 पेड़ों को री-प्लांटिंग करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन एक भी पेड़ की री-प्लांटिंग नहीं हुई।
विभिन्न सरकारी विभागों को काटे गए पेड़ों के बदले कुल तीन लाख 74 हजार 365 पेड़ लगाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अब तक मात्र 10 प्रतिशत पौधे ही लगाए जा सके। 90 प्रतिशत पौधे नहीं लगाए गए। वर्तमान में नेवरी-विकास-बूटी मार्ग व बूटी मोड़ से कोकर की ओर जाने वाले मार्ग पर फोरलेन निर्माण को लेकर पथ निर्माण विभाग की ओर से जिमखाना क्लब के समीप सौ से अधिक विशालकाय पेड़ काटे जा चुके हैं।
वन विभाग की ओर से मानक के आधार पर 56 सेंटीमीटर से अधिक मोटाई वाले पेड़ों को री-प्लांटिंग करने व इससे कम मोटाई वाले पेड़ों को ही काटने की स्वीकृति प्रदान की जाती है। जबकि वास्तविकता यह है कि वन विभाग से एनओसी मिलने के बाद अधिकांश पेड़ों की कटाई कर दी जाती है। री-प्लांटिंग की प्रक्रिया की ही नहीं जाती है। शहरी क्षेत्र विकास को लेकर नई-नई योजनाएं बनाई जा रही हैं और योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए 50 वर्ष पुराने विशालकाय पेड़ तक काटे जा रहे हैं।
रांची वन प्रमंडल के वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) श्री कान्त वर्मा ने बताया कि तीन हजार से कम संख्या में पेड़ों की कटाई करने पर 10 गुणा पौधे लगाने का प्रविधान है, जबकि 15 हजार से अधिक पेड़ों की कटाई करने पर पांच गुणा पौधे लगाने का प्रविधान है। पेड़ों की कटाई के बदले उनकी संख्या के अनुसार वन विभाग के शिड्यूल्ड रेट पर पैसे जमा कर दिए जाते हैं।
पहले प्रविधान यह था कि योजना स्थल पर काटे गए पेड़ों के बदले जमीन की उपलब्धता के आधार पर पांच या 10 गुना पौधे लगाए जाएंगे। इधर, दो माह पूर्व नियमावली बनाई गई है कि अब किसी भी योजना को लेकर पेड़ काटे जाएंगे तो योजना स्थल से तीन-चार किलोमीटर की परिधि में ही पांच या 10 गुना पौधे लगाए जाएंगे।
कुछ योजनाओं के दौरान संबंधित विभाग या संवेदक की ओर से भी पौधे लगाने की बात की जाती है, लेकिन पौधे लगाए नहीं जाते हैं। बूटी-ओरमांझी मार्ग पर हाल ही में एनएचएआइ की ओर से 13 हजार पौधे लगाए गए हैं। पूर्व में सेंट्रल ला यूनिवर्सिटी परिसर भी पौधे लगाए गए थे।
2016 से लेकर अब तक काटे गए पेड़ों की संख्या
विभाग का नाम पेड़ों की संख्या
पथ निर्माण विभाग 2,402
एनएचएआइ 15,874
दक्षिण-पूर्व रेलवे 816
जुडको 18,556
रांची नगर निगम 2,866
रांची स्मार्ट सिटी कारपोरेशन लिमिटेड 1,171
जियाडा 7,886
भवन निर्माण विभाग 163
रियाडा 1512
साज 181
जेएसएचबी 08
पावर ग्रिड 3,614
गेल इंडिया 5,201
सीएसआइआर 145
आरवीएनएल 1056
जेयूएसएनएल 999
एसडब्ल्यूबी, बीसीडी 137
डीवीसी 428
जेआरडीसीएल 3206
अन्य 339
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जहां एक ओर सड़क चौड़ीकरण समेत विकास से संबंधित अन्य कार्यों के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वन विभाग की सक्रियता से एचईसी क्षेत्र में जगन्नाथपुर थाना के सामने से गोलचक्कर तक सड़क के किनारे स्थित विशालकाय पेड़ों को बचाने की पहल की गई है। रांची वन प्रमंडल के डीएफओ श्रीकांत वर्मा ने बताया कि पथ निर्माण विभाग की ओर से बिरसा चौक से धुर्वा गोलचक्कर तक (2.60 किमी) बाइसाइकिल ट्रैक व फुटपाथ के साथ) व धुर्वा गोलचक्कर से प्रोजेक्ट बिल्डिंग तक (1.50 किमी) सड़क चौड़ीकरण का कार्य कराया जा रहा है।
पथ निर्माण विभाग की ओर से सड़क चौड़ीकरण के क्रम में बाधा उत्पन्न कर रहे पेड़ों को काटने की तैयारी कर ली गई थी। संवेदक की ओर से मशीन भी लगा दिए गए थे। जब इस मामले की जानकारी मिली तो तत्काल पथ प्रमंडल विभाग रांची के कार्यपालक अभियंता इजरायल अंसारी से बात कर पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई गई। कार्यपालक अभियंता को पेड़ों की बचाने की तरकीब बताई गई।
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इसके बाद पेड़ों के जड़ों के इर्द-गिर्द मिट्टी डाले गए और डिजाइनदार टाइल्स से उसकी घेराबंदी की जा रही है। पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता ने यह भी कहा था कि दो पेड़ों के बीच खाली भूखंड पर मिट्टी डालकर हरे-भरे घास लगाए जाएंगे, ताकि इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता बरकरार रहे। हालांकि संवेदक की ओर से दो पेड़ों के बीच खाली भूखंड पर जीएसबी (गिट्टी व डस्ट के मिश्रण) डाले जा रहे हैं। ऐेसे में भविष्य में पेड़ों की जड़ों को पानी कैसे मिलेगा, इसकी व्यवस्था नहीं की जा रही है